Thursday, April 28, 2011

मुनाफे की लडा़ई में उलझा क्रिकेट



हमारे देश में होने वाले ज़्यादातर विवादों में एक बात आम होती है, वह यह कि हमें विवाद की जो वजह बताई जाती है, दरअसल वह वजह होती ही नहीं है. विवादों की कोख में जाकर देखें तो मालूम पड़ता है कि कहानी तो कुछ और ही है. ऐसा ही कुछ आईपीएल में श्रीलंका के खिलाड़ियों की वापसी को लेकर पैदा हुए विवाद में देखा जा रहा है. इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के  चौथे संस्करण में हिस्सा ले रहे श्रीलंकाई क्रिकेटरों को श्रीलंका के खेल मंत्रालय ने जल्दी स्वदेश लौटने का निर्देश दिया है. इस निर्देश के पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि इससे मई में होने वाले इंग्लैंड दौरे के लिए टीम अपनी तैयारी कर सकेगी.

 लेकिन मामला उतना सीधा नहीं, जितना बताया जा रहा है. दरअसल यहां पर दो पक्षों के बयानों पर ग़ौर करना जरूरी है. एक तरफ श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड कहता है कि उसे बीसीसीआई से हमेशा आवश्यक सहयोग मिला है, इसलिए उसे अपने खिलाड़ियों के आईपीएल में खेलने से कोई एतराज नहीं है. वहीं श्रीलंका के खेल मंत्री महिंदानंद अलुथगामगे के मुताबिक, जब श्रीलंका क्रिकेट के अनुबंधित खिलाड़ी किसी अन्य प्रतियोगिता में जाते हैं तो उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी प्राथमिकता राष्ट्रीय टीम है और इसे भविष्य में कड़ाई से लागू किया जाएगा. आईपीएल की अधिकतर टीमें ऐसी हैं, जो अपने हिस्से के  आधे लीग मैच खेल चुकी हैं और टूर्नामेंट के अहम दौर में पहुंचने वाली हैं. श्रीलंकाई क्रिकेटरों के वापस लौटने से आईपीएल की अधिकतर टीमों को इनकी भरपाई करने में दिक़्क़त आ रही है.

 अब जरा याद कीजिए 2009 का आईपीएल सीजन. उस सीजन में भी श्रीलंका की टीम का इंग्लैंड दौरा था, तब श्रीलंका ने उस दौरे को रद्द करते हुए आईपीएल को प्राथमिकता दी थी. लेकिन इस बार ऐसा क्या हो गया, जो वह खिलाड़ियों पर देश वापसी का दबाव बना रहा है. दरअसल यहां पर मामला पैसा, मुनाफा और हिस्सेदारी से जुड़ा है. वर्ल्डकप और आईपीएल के बाद देश में क्रिकेट से जो पैसा बना है, उससे सभी वाकिफ हैं. जाहिर है, इस मुनाफे में कई लोगों का हिस्सा होता है. लगता है, इस बार श्रीलंका के खेल मंत्रालय को उतना मुनाफा नहीं मिला है, जितनी उसे उम्मीद थी, नहीं तो ऐसा उसे 2009 के दौरान भी करना चाहिए था. तब क्या देश को प्राथमिकता देना जरूरी नहीं था? इस विवाद की तह तक जाएंगे तो कई और परतें भी दिखाई देंगी. आपको याद होगा कि खेल मंत्री महिंदानंद अलुथगामगे ने भारत की इस बात पर आलोचना की थी कि मुंबई में हुए विश्वकप के फाइनल मैच में श्रीलंकाई नेताओं के साथ रूखा व्यवहार किया गया.


इसी आलोचना के बाद श्रीलंकाई खिलाड़ियों के बारे में निर्णय लिया गया. आईपीएल से पहले देश नीति के तहत मंत्रालय ने कहा कि खेल मंत्री जल्द ही सर्कुलर जारी करेंगे, जो सभी श्रीलंकाई खिलाड़ियों के लिए अन्य प्रतिबद्धताओं से पहले राष्ट्रीय कर्तव्य को अनिवार्य बनाएगा. दूसरी तरफ वह इस फरमान के संदर्भ में सफाई देते हुए कहता है कि यह निर्णय हमारे देश के क्रिकेट के प्रदर्शन को सुधारने के लिए बेहद जरूरी है. ताज्जुब की बात है कि इससे पहले 2009 में श्रीलंका सरकार ने अपने खिलाड़ियों के आईपीएल में खेलने का रास्ता साफ करने के लिए इंग्लैंड दौैरा ही रद्द कर दिया था. दूसरी ओर आईपीएल के एक फ्रेंचाइजी का कहना है कि उनके श्रीलंकाई खिलाड़ियों ने उन्हें कम से कम 10 मई तक रुकने का आश्वासन दिया है. इसके अलावा कुछ ने तो यहां तक कहा है कि उनके  श्रीलंकाई खिलाड़ियों ने उन्हें 20 मई तक रुकने का आश्वासन दिया है. इसके अलावा बीसीसीआई श्रीलंकाई खेल मंत्रालय के साथ वार्ता करके इस निर्णय का कारण और निवारण खोजने में लगी है. महिंदानंद अलुथगामगे कहते हैं कि राष्ट्रीय चयन समिति की सिफ़ारिश पर मैंने बोर्ड के सचिव को यह निर्देश दिया है कि वह खिलाड़ियों को सूचित कर दें कि इंग्लैंड दौरे की तैयारी के लिए वे पांच मई तक स्वदेश लौट आएं. जबकि आईपीएल 28 मई को ख़त्म हो रहा है. श्रीलंका के जो खिलाड़ी आईपीएल-4 की विविध टीमों के साथ अनुबंधित हैं, वे श्रीलंका सरकार के तुरंत घर लौटने के फरमान से बेहद परेशान हैं. उन्होंने निर्णय लिया है कि वे इस हुक्म का पालन नहीं करेंगे. श्रीलंका के 9 खिलाड़ी इस फरमान को मानने के लिए बाध्य हो रहे हैं.

 सभी खिलाड़ी अपनी आईपीएल टीमों के लिए एक नगीने की तरह हैं, जिनके वापस चले जाने से उनकी टीमों के प्रदर्शन पर गंभीर असर पड़ना तय है. इतना तो तय है कि खेल मंत्रालय का अपने क्रिकेटरों को वापस बुलाने का निर्णय काफी विस्फोटक स्थिति पैदा कर सकता है. श्रीलंकाई बोर्ड के विश्व क्रिकेट के सबसे शक्तिशाली बोर्ड बीसीसीआई के साथ रिश्तों के लिए यह चिंता की बात है. जानकारों की मानें तो ताजा घटना से श्रीलंका और बीसीसीआई के बीच तनाव वाली स्थिति पैदा होना लगभग तय है, क्योंकि वह (बीसीसीआई) कहीं न कहीं आईसीसी और विश्व क्रिकेट में दबदबा रखता है. आईपीएल की दो टीमों में श्रीलंकाई खिलाड़ी कप्तान हैं और इसके अलावा सूरज रणदीव, नुवान कुलशेखरा, मुथैया मुरलीधरन, तिशारा परेरा, लसित मलिंगा, दिलहारा फर्नांडो, तिलकरत्ने दिलशान और नुवान प्रदीप खेल रहे हैं. इसके अलावा यह भी तय है कि इन खिलाड़ियों के अपने देश लौटने से टीमों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. टीमों के सामने सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि वे बीच टूर्नामेंट में इन क्रिकेटरों के चले जाने के बाद इनकी जगह किन खिलाड़ियों को शामिल करें. श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड के ऐलान के बाद पहले से ही दर्शकों की कम होती दिलचस्पी का सामना कर रहे इस टूर्नामेंट पर संकट के बादल घिरते नज़र आ रहे हैं. आईपीएल की अधिकतर टीमें ऐसी हैं, जो अपने हिस्से के आधे लीग मैच खेल चुकी हैं और टूर्नामेंट के अहम दौर में पहुंचने वाली हैं. श्रीलंकाई क्रिकेटरों के वापस लौटने से आईपीएल की अधिकतर टीमों को इनकी भरपाई करने में दिक्कत आ रही है. खासकर उन टीमों को, जिनमें लसिथ मलिंगा, कुमार संगकारा, महेला जयवर्द्धने और तिलकरत्ने दिलशान जैसे श्रीलंकाई खिलाड़ी हैं, को भारी नुकसान हो सकता है. कोच्चि टस्कर्स की टीम की अगुवाई जयवर्धने कर रहे हैं तो डेक्कन चार्जर्स की कमान संगकारा के हाथों में है. ऐसे में दोनों टीमों के लिए नए कप्तान ढूंढने की चुनौती टीम प्रबंधन को परेशान कर सकती है. मुंबई इंडियंस को मलिंगा की गैर मौजूदगी खलेगी. इस तेज गेंदबाज के न रहने से मुंबई इंडियंस की टीम के चैंपियन बनने की उम्मीदों को धक्का लगेगा. हालांकि मुंबई की टीम इस समय बेहद संतुलित दिख रही है, लेकिन पिछले सीजन और पिछले दो मैचों में मलिंगा ने अपनी कहर बरपाती गेंदों से विपक्षी टीमों को जोरदार झटका दिया है. मलिंगा के वापस जाने से कप्तान सचिन तेंदुलकर को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करना होगा. मुनाफ पटेल के अलावा उनके पास कोई जाना-माना गेंदबाज नहीं है.


 ऐसे में गेंदबाजी सचिन की टीम की कमजोरी बन जाएगी और विपक्षी टीमें इसका भरपूर फायदा उठा सकती हैं. श्रीलंका के स्टार खिलाड़ी दिलशान रॉयल चैलेंजर्स के अहम बल्लेबाज हैं, जिनकी कमी टीम को खल सकती है. इस समय बैंगलोर की टीम ठीकठाक दिख रही है और बल्लेबाजी भी मजबूत है, लेकिन दिलशान में मैच जिताने की जो क्वालिटी है, उसकी भरपाई कर पाना मुश्किल है. आक्रामक बल्लेबाजी, कलाइयों का बेहतर इस्तेमाल और सही टाइमिंग की वजह से दिलशान क्रिकेट के फटाफट स्वरूप के लिए बेहद फिट हैं और मैच जिताऊ खिलाड़ी साबित हो सकते हैं. वह न केवल बल्लेबाजी, बल्कि बैकवर्ड प्वाइंट पर बिजली सी फुर्ती वाली फील्डिंग और बेहतरीन ऑफ स्पिन गेंदबाजी की बदौलत टीम के लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं. श्रीलंकाई बोर्ड के ताजा फरमान से आईपीएल की कोच्चि टस्कर्स और डेक्कन चार्जर्स को तो जरूर तगड़ा झटका लगेगा. चार्जर्स अब तक अपने दोनों मुकाबले हार चुकी है और टीम में कोई भी बड़ा नाम ऐसा नहीं है, जो बड़ा स्कोर खड़ा करने में मदद कर सके. कैमरून व्हाइट इस समय बांग्लादेश के दौरे पर गई ऑस्ट्रेलियाई टीम के साथ हैं, जो जल्द ही चार्जर्स का हिस्सा बनकर टीम की डूबती नैया बचाने में मददगार साबित हो सकते हैं. आईपीएल में पहली बार हिस्सा ले रही कोच्चि की टीम टूर्नामेंट की सबसे कमजोर टीम मानी जा रही है.


जयवर्धने के वापस जाने से इस टीम को स्टार खिलाड़ी और कप्तान गंवाना पड़ जाएगा. जाने-माने स्पिनर मुथैया मुरलीधरन ही इकलौते ऐसे खिलाड़ी बचे हैं, जो आईपीएल-4 का अपना यह सत्र पूरा कर पाएंगे. अब देखना यह है कि बीसीसीआई इस मामले में किस तरह की प्रतिक्रिया देता है. श्रीलंका की मीडिया की मानें तो इससे विस्फोटक स्थिति बनेगी और क्रिकेट बोर्ड के बीसीसीआई से संबंध काफी तनावपूर्ण हो जाएंगे. आर्थिक रूप से मजबूत बीसीसीआई काफी प्रभावशाली है और आईसीसी के निर्णयों को अक्सर प्रभावित करता है. लेकिन इन सबको देखते हुए इतना तो तय हो गया है कि मुनाफे और वर्चस्व की लड़ाई में क्रिकेट और क्रिकेटर दोनों उलझे हुए हैं.  

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