Monday, March 4, 2013

ताकि होली न हो बदरंग




पिछले साल की होली की बात है. होली के रंगों में पूरा देष सराबोर था. उसी दरम्यान खबर आई कि मुंबई के धारावी इलाके में लगभग 150 से ज्यादा बच्चों को रंग खेलते वक्त अचानक खुजली और उल्टी होने लगी. सभी को अस्तपाल लाया गया. पता चला कि होली में कैमिकलयुक्त रंगों के प्रयोग के चलते यह हादसा हुआ. इस हादसे के चलते मौजमस्ती और रंगों का उत्सव होली इन परिवारों के लिए मातम में तब्दील हो गया. कुछ ऐसा ही मेरठ की लड़की के साथ हुआ. किसी मनचले ने कैमिकल रंगों से भरा गुब्बारा उसके चेहरे पर मार दिया. रंग आंखों में चला गया वह टेम्पोरेरी ब्लाइंडनेस का षिकार हो गई.
अक्सर होली के दौरान इस तरह की घटनाएं प्रकाष में आती रहती हैं. इसके बावजूद न तो हम इन से सबक लेते हैं और न ही होली में कैमिकलयुक्त रंगों से तौबा करते हैं. लिहाजा रंगों के इस त्योहार में गाहेबेगाहे भंग पड़ती रहती है. होली आते ही बाजार रंगबिरंगे रंगों और गुलाल से सज जाते हैं. यों तो बाजार में नेचुरल कलर भी बिकते हैं और कैमिकल वाले भी. पर कैमिकल कलर्स की तुलना में नेचुरल कलर्स थोड़ा महंगे होते हैं. षायद यही कारण है लोग प्राकृतिक रंगों के बजाए कैमिकल कलर्स से होली खेलते हैं.
दरअसल रंग कई प्रकार के रसायनों से बने होते हैं जो मानव शरीर के लिए बेहद घातक साबित होते हैं. इन जहरीले रंगों के प्रयोग से किसी को स्किन इंफैक्शन होता है तो किसी की आंखे जख्मी हो जाती है. कई बार तो ये जहरीले रंग लोगों को अंधा तक कर देते हैं. बच्चों और गर्भवती महिलाओं पर इन कैमिकल्स का असर तो दोगुना होता है.
डाक्टर वीरेंद्र नाथ गर्ग के मुताबिक हर रंग में अलगअलग तरह के षरीर को नुकसान पहुंचाने वाले कैमिकल होते हैं. जैसे काला रंग. यह रंग लेड औक्साइड के मिश्रण से बनता है. इस के इस्तेमाल से किडनी प्रभावित होती है और लोग मंदबुद्धि के भी हो सकते हैं. इसलिए हमेषा रासायनिक रंगों के बजाए प्राकृतिक व सूखे रंगों मसलन गुलाल आदि से ही होली खेलनी चाहिए. क्योंकि होली का त्योहार खुषियां मनाने के लिए होता है, अस्पतालों के चक्कर काटने के लिए नहीं.
रासायनिक रंगों में लेड औक्साइड, एल्यूमिनियम ब्रोमाइड व लेट सल्फेट जैसे रसायन होते हैं, जिनका असर सीधे शरीर की त्वचा पर पड़ता है. कई रसायन तो इतने खतरनाक होते हैं कि इन से बच्चों को किडनी फेल, हार्ट अटैक, फेफडे का इंफेक्शन, कैंसर और अस्थमा जैसे घातक परिणाम भुगतने पड़ते हैं. इस के अलावा स्किन कैंसर, एग्जिमा या फिर फोड़ेफुंसी भी हो सकते हैं. स्वास्थ्य विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल लगभग 80 प्रतिशत लोगों को कैमिकल कलर्स के साइडइफेक्ट का षिकार होना पड़ता है.
रंगों के अलावा कई बार कुछ षरारती किस्म के लोग चमकीले पेंट या ग्रीस या कीचड़ से भी होली खेलते हैं. जबकि ये पदार्थ तो रासायनिक रंगों से भी ज्यादा खतरनाक होते हैं. डर्मेटोलोजिस्ट और चिकित्सकों की मानें तो रंगों में आजकल कैमिकल के अलावा रेत और डिटरजेंट पावडर भी मिलाया जा रहा है. जो त्वचा  आंखों, सांस की नली और बालों के लिए बेहद खतरनाक है. कई बार टेंपरेरी ब्लाइंडनेस का भी खतरा रहता है. इसलिए हम सबको हितायती तौर पर कैमिकल रंगों को छोड़ प्राकृतिक रंगों से होली खेलनी चाहिए. इससे त्योहार भी मजे से मनाया जा सकता है और विभिन्न  शारीरिक नुकसानों से भी बचा जा सकता है.


फिर भी अगर केमिकल रंग का प्रयोग करते हैं और इससे शरीर पर बुरा असर पड़ता है तो तुरंत चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए ताकि प्रारंभिक दौर में ही बीमारी को रोका जा सके. लेकिन समझदारी तो इसी में हैं कि इस तरह के हादसों को कोई मौका ही न दिया जाए. अभिभावक बच्चों को होली खेलने के लिए सूखे रंग और गुलाल दें ताकि किसी की होली बदरंग न हो. गुलाल में रसायनों का प्रयोग नहीं किया जाता है. इसके अलावा ये ईको फ्रेंडली भी होता है. अगर आप भी अपने परिवार के साथ एक याादगार और हेल्दी होली खेलना चाहते हैं तो थोड़ी सी सावधानी बरतें ताकि होली खुषियों के रंगों से सराबोर हो.


   होली में क्या करें और क्या न करें

  • गीले रंगों से मुंह को बचाएं, रंग को मुंह के अंदर न जाने दें.
  • रंग खेलने से पहले नारियल तेल या जैतून का तेल लगाएं,
  • सरसों का तेल कतई न लगाएं.
  • षरीर को ढकने वाले कपड़े पहनकर होली खेलें
  • गुब्बारे में पानी भरकर किसी को न मारें.
  • सूखे रंग, गुलाल या हर्बल रंगों से ही होली खेलें.
  • रसायनिक रंगों का इस्तेमाल कतई न करें
  • चमकीले पेंट, कीचड़ या ग्रीस से होली ना खेलंे.
  • कान, मुंह और आखों में रंग जाने पर तुरंत साफ करें.
  • रंग साफ करने हेतु बेसन, दही आदि का इस्तेमाल करें.
  • रंग उतारने के लिए हार्ड साबुन, डिटरजंट या शैंपू का प्रयोग न करें.
  • रंग को धोने के लिए बेसन, दही आदि का इस्तेमाल करें.
  • त्चचा को रगड़े नहीं समय के साथ रंग फीका पड़ जाएगा.
  • रंग खेलते समय कौंटेक्ट लेंस न लगाएं,
  • अगर आंख में रंग चला जाए तो उसे तुरंत साफ पानी से धोएं.
  • होली खेलते समय जलन, उल्टी या खुजली हो तो तुरंत चिकित्सक से मिलें.