खुला नीला आसमान, रेत और पानी के चमकीले नजारों का खूबसूरत मंजर अभी भी हमारी यादों में ताजा है. गोआ आकर लगा मानो
यहां के बीच, जंगल और हर फिजा हमारा बांहें फैलाकर स्वागत करने को आतुर है. हमारे हनीमून को
स्पेशल बनाने के लिए षायद गोआ से बेहतर कोई और जगह हो ही नहीं सकती थी, कहते हैं हनीमून के लिए
गोवा पहुंचे दिल्ली के अरुण और उनकी नवविवाहित संगिनी करिश्मा मनचंदा. इस जोड़े की
हनीमून ट्रिप को यादगार बनाता गोआ प्रकृति का ऐसा खूबसूरत उपहार है जहां जाने की
चाहत हर घुमक्कड़ के दिल में बसती है. पिछले साल गोआ गए इस जोड़े के अनुभव इतने
उत्साही और रोचक हैं कि गोआ जाने की उत्सुकता और बढ़ जाती है. जाहिर है ऐसा अनुभव
गोआ जाने वाले हर पर्यटक की जुबानी सुना जा सकता है.
भारत का सबसे आधुनिक पर्यटन स्थल गोआ विदेशी और भारतीय संस्कृति का बेजोड़
मिलन है. यही वजह है कि पिछले साल यानी 2012 में गोवा में तकरीबन 28-30 लाख पर्यटक आए. इनमें
लगभग 4 लाख
पर्यटक तो सिर्फ विदेश से ही आए थे. कहते हैं गोआ शब्द की उत्पत्ति कोंकणी शब्द
गोयन से हुई है. इस के माने है लंबी घास का टुकडा. गोआ की पर्यटकों में बढ़ती
लोकप्रियता का ही सबब है कि यहां की आबादी से ज्यादा तो पर्यटकों का जमावड़ा दिखता
है.
गोआ भारत के पष्चिम में स्थित एक छोटा सा राज्य है. 30 मई 1987 को गोआ का पृथक राज्य के तौर पर
गठन किया गया था. इससे पहले समय समय पर यहां मौर्य, चालुक्य, मुसलिम षासकों और आखिर में
पुर्तगालियों की सत्ता रही. 1961 में गोआ पुर्तगाली षासन से अलग होकर आजाद भारत का हिस्सा
बना. पणजी जिसे पंजिम भी कहा जा है, यहां की राजधानी है. पणजी समेत वास्को, मडगांव, ओल्ड गोआ, मापुसा और कांदा यहां के
प्रमुख शहर है. मांडवी और जुवारी गोवा की दो प्रमुख नदिया हैं. यहां कई खूबसूरत बीच
और जल प्रपात भी हैं. देखा जाए तो छोटेबड़े लगभग 40 समुद्री तटों का षानदार
गुलदस्ता है गोआ.
गोआ का नायाब सौंदर्य केवल बीच तक ही सिमटा नहीं है बल्कि यहां के पुराने और
ऐतिहासिक चर्च भी खास आकर्शण हैं. ये सैलानियों को पुर्तगाली दौर में ले जाते हैं.
इन्हीं पुराने स्मारकों के चलते गोआ को भारत का रोम भी कहा जाता है. इनके अलावा
आधुनिक बाजार, रिवर क्रूज, हैंग ग्लाइडिंग, व्हाइटवाटर राफ्टिंग और हौट एयर बलूनिंग जैसी एडवेंचर गतिविधियां हर पर्यटक को
यहां बारबार आने पर मजबूर कर देती हैं.
गोआ के खूबसूरत बीच
गोवा की सबसे खास बात यही है कि यहां आकर भारतीयों को ऐसा महसूस होता मानों वे
विदेश यात्रा पर निकले हों. कारण, यहां के समुद्र तट अंतर्राष्ट्रीय स्तर के हैं. षायद यही
वजह है कि इस राज्य की विश्व पर्यटन मानचित्र के पटल पर अलग पहचान है. यह जगह
शांतिप्रिय और प्रकृतिस्नेही पर्यटकों को खासी लुभाती है. सुहावने मौसम और यहां
स्थित समुद्री तटों के कायल पर्यटकों की भीड़ सबसे अधिक गर्मियों के महीनें में ही
रहती है. रंगीन मिजाज संगीत की धुनी में डूबी यहां की शामें जितनी हसीन होती है
दिन उतने ही खुशगवार होते है.
कलंगूट बीच
गोआ का यह खूबसूरत बीच पणजी से 16 किलोमीटर दूर है. इसकी बेपनाह खूबसूरती के चलते इसे
दुनिया भर के प्रमुख समुद्री तटों में षुमार किया जाता है. यही वजह है इसे क्वीन
औफ सी बैंक यानी सागर तट की रानी के नाम से भी पुकारा जाता है. एक दौर था जब 60 के दशक के आसपास यह जगह
हिप्पियों का ठिकाना बन चुका थी. लेकिन समय बदला और 90 के दशक में सरकार ने इसे
टूरिस्ट स्पौट के तौर पर विकसित कर दिया. अब यहां पर्यटकों की भारी भीड़ रहती है.
यह बीच पूरी तरह हौलीडे रिसोर्ट में तब्दील हो चुका है. कलंगूट बीच में रहने,
खानेपीने और
मनोरंजन के साधनों की कोई कमी नहीं है.
मीरामार बीच
पणजी से महज 3 किलोमीटर की दूर यह बीच मुलायम रेत और ताड़ के पेढ़ों से सजा है. राजधानी के
सबसे करीब बीच यही है. इसका सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि पणजी के होटलों में ठहरे
पर्यटक पैदल भी इस बीच के नजारों का लुत्फ उठाने आ जाते हैं. लिहाजा सीजन कोई भी
हो, यह जगह
सैलानियों से भरी रहती है.
डोना पाउला बीच
मीरामार बीच की तरह यह बीच भी पणजी के काफी नजदीक है. सिर्फ 7 किलोमीटर की दूरी पर
स्थित डोना पाउला बीच, नाम से साफ हो जाता है कि इसे किसी पुर्तगाली के नाम से
जाना जाता है. बरहाल यह गोआ का सबसे खूबसूरत बीच है. मजेदार बात यह है कि इस बीच
में न तो कोई रेतीला तट है और न ही स्वीमिंग के ठिकाने. लेकिन हां, स्टीमर या बोट के जरिए
यहां के दिलचस्प नजारों का आंनद लिया जा सकता है. भारतीय सैलानियों का यह पसंदीदा
बीच कहा जा सकता है.
अरमबोल बीच
इसे यहां का सबसे षांत, सुंदर और लंबा बीच माना जाता है. दिनबदिन इस बीच को
प्राकृतिक खूबसूरती से भरता हुआ देखा जा सकता है. यहां अकसर विदेषी पर्यटकों का
जमावड़ा देखा जा सकता है. आमतौर जो लंबा अवकाश लेकर यहां मजे करने आते हैं उनको यह
जगह कुछ ज्यादा ही मुफीद लगती है. इस बीच की खासियत यह है कि कई जगहों पर रेत के
लंबे किनारों पर लहरों के आगे जाकर तैरना काफी सुरक्षित और आसान होता है, इसलिए समुद्री लहरों पर
ऐडवैंचर का मजा उठाने वाले सैलानियों को यहां दोगुना आनंद मिलता है. बीच से पहले
ही अरमबोल गांव मिल जाता है. जिन सैलानियों को अपने बजट का खास ख्याल होता है वे
इसी गांव में रहने के सस्ते ठिकाने खोज लेते हैं. राजधानी से 80 किलोमीटर दूर इस बीच के
लिए मापुसा होकर बसें मिल जाती हैं.
इन के अलावा गोआ में और भी कई बीच हैं जिनमें बागाटारे, अगोंडा, पोलेलेम, सिनक्यू रिम बीच आदि प्रमुख हैं.
गोआ में अनेक सुंदर और विशाल जल प्रपात हैं, जो पर्यटकों को अपनी ओर खींचते
रहते हैं.
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वाइल्ड लाइफ के ठिकाने
गोआ में कई दुर्लभ जानवरों और रंगबिरंगे पक्षियों का देखना मनोरम अनुभव होता
है. इसके अलावा समुद्री तटों पर कई तरह की मछलियां भी खासी लुभाती हैं. गोवा में
कई नैशनल पार्क हैं जो वन्य जीव प्रेमियों
के लिए पर्यटन का उपहार हैं. महावीर वन जीवन अभ्यारण्य, कीटोगाओं वन्य जीव संरक्षण,
सलीम अली पक्षी
अभ्यारण्य, नेतरावली वन्यजीव संरक्षण, बोंडला सेंचुरी आदि प्रमुख अभ्यारण्य हैं. मोरिजिम बीच में
विदेश से पलायन कर आने वाले पक्षियों को देखने का अनुभव रोमांचकारी होता है. इस
क्षेत्र में कई इंटरनेशनल बर्डर्स वाचिंग टूर आर्गेनाइज किए जाते हैं. यहां चीता,
जंगली बिल्ली,
हिरण, सियार, सांभर चीतल, गिलहरी, काले मुंह वाले लंगूर,
सांप, मगरमच्छ आदि दुर्लभ
प्रजातियां सैलानियों को वाइल्ड लाइफ केे रोमांचक तेवर से वाकिफ कराती हैं.
व्यंजन, फैशन और कार्निवाल
गोआ में सैलानी घूमने के अलावा यहां के सीफूड यानी समुुद्री व्यंजनों के भी
खासे दीवाने हैं. सामान्य तौर पर यहां मांसाहारी और षाकाहारी दोनों तरह का खाना
मिलता है पर तटीय इलाके के फिश, प्रौन, लौबस्टर जैसे सीफूड दुनिया भर के पर्यटकों के मुंह में पानी
ले आते हैं. इसके अलावा ड्रिंक के तौर पर तो यहां की बियर्स की इतनी वैरायटी हैं
कि गिनाना मुष्किल है. गोआ के नारियल पानी की बात ही निराली है. कुल मिलाकर गोवा
के नजारे जितने खूबसूरत हैं उतने ही लजीज यहां के व्यजंन भी हैं.
गोआ के व्यंजनों के लजीजपन के अलावा फैशन के भी अनूठे मिजाज मौजूद हैं. यों तो
यहां की ट्रैडिशनल परिधानों में औरतें मुख्यतः साड़ी, पुरुश शर्ट और हाफ पेंट के साथ
हैट का उपयोग करते हैं पर अब मगर बदलते दौर के साथ पहनावा भी बदला है. आज गोआ
वेस्टर्न ट्रेंड को अपना रहा है. इसके असर के तौर पर यहाँ टैटूज बनवाने का चलन
देखा जा सकता है. तरह तरह के टैटू यहां के सैलानियों के शरीर पर आसानी से देखे जा
सकते हैं.
गोआ का एक और आकर्शण है जिसका इंतजार यहां आए हर सैलानी को होता है. यह आकर्शण
है मस्ती भरी गोवा कार्निवाल परेड. इस परेड में गोआ की रंगीन संस्कृति के विविध
पहलुओं से रूबरू होने का मौका मिलता है. 3 से 4 दिनों तक चलने वाले इस कार्निवाल के दौरान यह फर्क करना
आसान नहीं होता है कि दिन है या रात. इस दौरान पूरा गोआ रंगबिरंगा और रोशनी से जगमग
दिखता है. फ्लोट्स परेड, गिटार की धुनों, डांस की थिरकन और नौन स्टाप मस्ती से भरे इस
कार्निवाल में षामिल होना एक रोमांचक और यादगार अनुभव होता है. कार्निवाल वैसे तो
विदेशी कल्चर की देन है. गोआ में यह पुर्तगालियों के जरिये आया और समय के साथ यहां
की स्थानीय संस्कृति में रचबस गया. लोक कलाओं व लोक संगीत का समां बांधे इस परेड
को हर साल आयोजित किया जाता है. क्रिसमस के अवसर पर निकलने वाले कार्निवाल की
भव्यता का नजारा देखते ही बनता है. हर बार एक अलग थीम पर आधारित यह कार्निवाल गोआ
का एक प्रमुख आकर्षण है जो इस जगह की शानदार झलक पेश करता है.
कब और कैसे जाएं
गोवा जाने के सड़क, रेल और हवाई मार्ग सेवाएं उपलब्ध है. गोवा राष्ट्रीय और
प्रांतीय राजमार्गों के अलावा कोंकण रेलवे के माध्यम से मुंबई, मंगलौर और तिरुवनंतपुरम
से भी जुड़ा है. वहीं डबोलिम हवाई अड्डे से मुंबई, दिल्ली, तिरुवनंतपुरम कोच्चि, चेन्नई, अगाती और बेंगलुरु के
लिए रेगुलर विमान सेवाएं हैं.घूमने के लिहाज से सितंबर से मई बेहतर है. पर दिसंबर
में क्रिसमस के दौरान आना भी बेहतर विकल्प है. अधिक जानकारी के लिए गोआ के पर्यटन
विभाग के फोन नंबर 0832 - 2438755 पर संपर्क कर सकते हैं या http://www.goatourism.gov.in पर भी
जानकारी ले सकते हैं.
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