छोटी उम्र में बड़ों जैसे कारनामे करने वाले इन होनहारों को गणतंत्र दिवस समारोह से पहले एक समारोह में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सम्मानित किया. इन सभी बच्चों ने गणतंत्र दिवस पर आयोजित परेड में भी भाग लिया. इस बार के वीरता पुरस्कार के लिए चयनित बच्चों में 16 लड़के और आठ लड़कियां हैं. इनमें पांच बच्चों ने अपनी जान गंवाकर दूसरों की जान बचाई है. ग़ौरतलब है कि अब तक 824 बच्चों को यह सम्मान मिल चुका है, जिसमें से 584 लड़के और 240 लड़कियां शामिल हैं. आपको बता दें कि राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार भारतीय बाल कल्याण परिषद के तत्वावधान में 1975 से प्रदान किए जा रहे हैं. इस वर्ष 16 लड़के और आठ लड़कियों को राष्ट्रीय वीरता सम्मान के लिए चुना गया, जिनमें से पांच बच्चों को यह सम्मान मरणोपरांत दिया गया.
इस साल केरल व छत्तीसगढ़ से तीन-तीन, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और मणिपुर से दो-दो बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए चुना गया है. उत्तराखंड, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, राजस्थान, मिज़ोरम व उड़ीसा से एक-एक बच्चे को चुना गया है. प्रतिष्ठित गीता चोपड़ा पुरस्कार गुजरात की 13 वर्षीया मित्तल महेंद्रभाई पताडिया को दिया गया. उसने अपने अदम्य साहस का परिचय देते हुए हथियारबंद अपराधियों का सामना किया था और डकैती के प्रयास को विफल कर दिया था. चोरों ने उसकी गर्दन तक काट डाली थी. इसके बावजूद उसने चोरों को पकड़े रखा. पड़ोसियों ने मित्तल को अस्पताल में भर्ती कराया, जहां चार घंटे तक चले ऑपरेशन के दौरान उसके गले पर 351 टांके लगे, इसके बाद उसे बचाया जा सका. चार घंटे की सर्जरी में मित्तल का घाव बंद किया जा सका. इस वर्ष का भारत पुरस्कार उत्तराखंड के कपिल नेगी 15 वर्ष को मरणोपरांत प्रदान दिया गया. 8 सितंबर 2010 को कपिल अपने साथियों के साथ स्कूल जा रहा था. नज़दीक में ही एक नाला था. अधिक वर्षा होने के कारण भूस्खलन होने लगा. नतीजतन पुल का रास्ता अवरुद्ध हो गया. कपिल अपने साथियों को पीठ के सहारे पुल पार कराने लगा. इस काम में उसके अन्य साथी भी मदद कर रहे थे. तभी पास की पहाड़ी से पत्थर गिरने लगे. यह देख सभी साथी भाग लिए लेकिन कपिल अपने साथियों की मदद करता रहा. तभी अचानक भारी चट्टान उस पर आ गिरी. कपिल की मौके पर ही मौत हो गई. कपिल ने अपने दोस्तों की जान बचाने के लिए अपनी कुर्बानी देकर असाधारण साहस का उदाहरण पेश किया. वहीं संजय चोप़डा पुरस्कार के लिए उत्तर प्रदेश के 12 वर्षीय ओम प्रकाश यादव को चयनित किया गया है.
मास्टर ओम प्रकाश ने जलती स्कूल वैन से अपने स्कूल के 8 दोस्तों को निकालकर उसकी जान बचाई थी. दिल्ली के साढ़े 12 वर्षीय उमा शंकर, अरुणाचल प्रदेश के साढ़े 14 वर्षीय स्व. आदित्य गोयल तथा छत्तीसगढ़ की रहने वाली 14 वर्षीय अंजली सिंह गौतम को बापू गैधानी पुरस्कार प्रदान किया गया. इसके अलावा वर्ष 2011 के लिए राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार पाने वालों में राजस्थान के सात वर्षीय डूंगर सिंह, उत्तर प्रदेश की सवा 12 वर्षीय लवली वर्मा (मरणोपरांत), केरल के पौने 14 वर्षीय अंश़िफ सीके, छत्तीसगढ़ की रहने वाली सवा 10 वर्षीय शीतल साध्वी आहूजा, मिजोरम के रहने वाले 16 वर्षीय सी लालदुआमा (मरणोपरांत) को प्रदान किया गया. उत्तर प्रदेश की लवली 23 जून, 2011 को अपने नाना के यहां थी. इस दिन उसकी सहेलियां पास के ही तीन से चार मीटर गहरे तालाब में स्नान कर रही थीं. तभी अचानक लवली को दिखाई दिया कि उसकी सहेलियां पानी में डूब रही हैं. लवली ने उन्हें बचाने के लिए पानी में छलांग लगा दी. उसने किसी तरह अपनी सहेलियों को तो किनारे तक पहुंचा दिया, लेकिन खुद पानी से बाहर नहीं आ पाई. वह गहरे पानी में डूब गई, लेकिन इस छोटी बच्ची ने अपनी जान देकर भी अपनी सहेलियों की जान बचाई. इसी तरह मिज़ोरम के रहने वाले सी लालदुआमा ने भी एक गड्डे में फंसे अपने साथियों की जान बचाई. सी लालदुआमा उस व़क्त गहरे गड्ढे में अपने साथियों को बचाने के लिए कूद पड़ा, जब उसको सही से तैरना भी नहीं आता था.
बहादुरी की इससे बड़ी मिसाल और क्या हो सकती है. इसके अलावा राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार की फेहरिस्त में छत्तीसगढ़ के सा़ढे 14 वर्षीय रंजन प्रधान, कर्नाटक की रहने वाली पौने 14 वर्षीय सिंधुश्री बीए, आंध्र प्रदेश के 14 वर्षीय एस शिवा प्रसाद, केरल के सवा तेरह वर्षीय मोहम्मद निशाद, उड़ीसा के सवा 11 वर्षीय प्रसन्नता शांडिल्य, मणिपुर के सवा 13 वर्षीय राकेश सिंह, केरल के पौने 17 वर्षीय सहशाद के, गुजरात की 13 वर्षीय दिव्याबेन चौहान, मणिपुर की 14 वर्षीय जॉनसन तौरांगबम और कर्नाटक के रहने वाले साढ़े 16 वर्षीय संदेश पी हेगड़े शामिल हैं. सभी ने किसी न किसी तरह से अपनी बहादुरी का परिचय देकर मानवता का नाम रोशन किया. बता दें कि राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार प्राप्त करने वाले बच्चों को पदक, प्रमाण पत्र और नक़द राशि प्रदान की जाती है. भारत पुरस्कार के तहत 50 हज़ार रुपये, गीता चोपड़ा व संजय चोपड़ा पुरस्कार के तहत 40 हज़ार रुपये और बापू गैधानी पुरस्कार के तहत प्रत्येक को 24 हज़ार रुपये तथा अन्य को 20-20 हज़ार रुपये प्रदान किए जाते हैं.
इसके अलावा परिषद की ओर से बच्चों को हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी होने तक वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी. इंजीनियरिंग व मेडिकल की पढ़ाई करने की इच्छा रखने वाले बच्चों को उनकी पेशेवर पढ़ाई पूरी करने के लिए इंदिरा गांधी छात्रवृत्ति योजना के तहत वित्तीय सहायता मिलेगी. खैर, ये ईनाम तो इनकी बहादुरी की सलामी में कुछ भी नहीं है फिर भी हम इन सभी नन्हें बहादुरों के इस जज़्बे को सलाम करते हैं.