Thursday, June 27, 2013

मार्शल आर्ट - हम भी किसी से कम नहीं




फिल्मों मे हीरो और विलेन के बीच होने वाली ढिशुमढिशुम किशोरों का बहुत पसंद आती है, इसी फिल्मी फाइट को देखकर अक्सर स्कूल और घर में किशोर भी इसे आजमाने की कोषिश किया करते हैं. कोई चोरसिपाही का खेल खेलता है तो कोई रेसलिंग. कुछ साल पहले धारावाहिक शक्तिमान को देखकर कई किशोर कुछ स्ंटट सीन दोहराने के चक्क्र में चोटिल हो गए थे. ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि तब इन्होंने फार्मल ट्रेनिंग नहीं ली थी, पर अब समय बदल गया है. किषोर पहले की बजाए एडवांस हो गए हैं अब वो फिल्मी फाइट के बजाए मार्शल आर्ट के गुर सीख रहे हैं. जी हां, अब किशोर मार्शल आर्ट के जरिए फन के साथसाथ आत्मनिर्भरता का दोहरा मजा ले रहे हैं. हाल के दिनों में टीनेजर्स में मार्शल आर्ट सीखने का जबरदस्त के्रज देखा गया है. जब भी मार्शल आर्ट की चर्चा होती हैं तो ब्रूस ली, जैकी चैन और अक्षय कुमार का नाम सबसे वहले आता है. इन्हीं लोगों नें किशोरों में मार्शल आर्ट के प्रति उत्सुकता और इस कला को सीखने का प्रोत्साहन जगाया है. अब आप भी अक्षय की तरह मार्शल आर्ट के सबसे बडे खिलाड़ी बन सकते हैं. अगर आप भी स्कूल में अपने फ्रंेडस को मार्शल आर्ट से इंप्रेस करना चाहते हैं तो इसे सीखने में देर कैसी. सिर्फ कुछ ही महीने की ट्रेनिंग की बात है और आप बन जाएंगे मार्शल आर्ट एक्सपर्ट.

जोश और जुनून की हौबी
मार्शल आर्ट एक हौबी और आर्ट होने के साथ साथ किशोरों में एक नया जोश, जुनून और आत्मविष्वास भरता है. इसके जरिए किषोर मुष्किल समय में न केवल अपनी सुरक्षा खुद कर सकते हैं बल्कि  अपने फ्रेंडसग्रुप में सबके चहेते बन जाते हैं. कोई आपको बिन वजह तंग करे तो आपके पास उसे सबक सिखाने का बेहतरीन विकल्प है मार्शल आर्ट. इसे सीखने के कई फायदे हैं. सबसे पहले तो इसे सीखने वाले किशोर चुस्तदुरूस्त होने के साथ अनुषासित और मजबूत इच्छाशक्ति वाले होते हैं. यह एक जबरदस्त कैलीबर का स्पोर्ट है.
गुड़गाव में संषिकन कराटे इंडिया नाम का इंस्टीटयूट चलाने वाले यशपाल सिंह कलसी कई सालों अपने संस्थान के जरिए मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग दे रहे हैं. उनके मुताबिक, हमारे ज्यदातर मार्शल आअ सीखने वाले स्टूडेंट किषोर होते हैं और पिछले कुछ समय में इस आर्ट को सीखने के लिए लडकियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. इसे एक अच्छा संकेत माना जा सकता है. क्योंकि आजकल छेड़छाड़ की बढ़ती घटनाओं की वजह से लड़कियों को अपनी सुरक्षा कई बार खुद करनी पड़ती है. ऐसे में मार्शल आर्ट का प्रषिक्षण इनके लिए बहुत कारगर साबित होता है.
सबसे पहले तो यह जानना जरूरी है कि आखिर मार्शल आर्ट है क्या. तकनीकी भाषा में कहें तो बिना किसी हथियार का प्रयोग किए हाथ, पैर, घुटने, और सिर आदि के द्वारा आत्मरक्षा की कला को मार्शल आर्ट कहा जाता है. पर असल में इसे एक तरह की फिजिकल एक्सरसाइज कहा जा सकता है, एक ऐसी एक्सरसाइज जिससे शरीर में स्फूर्ति और ताजगी रहती है. मार्शल आर्ट से किषारों में आत्मविश्वास और आत्मरक्षा की भावना का विकास होता है. यह शारीरिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक क्षमता को विकसित करती है.


कहां और कैसे सीखें मार्शल आर्ट
वैसे तो किसी भी उम्र में मार्शल आर्ट सीखी जा सकती है लेकिन किषोर यदि मार्शल-आर्ट सीख लेते हैं, तो उन्हें आगे चलकर इसे बतौर करियर अपनाने में भी मदद मिल सकती है. मार्शल आर्ट में प्रशिक्षित सेना, अर्धसैनिक बलों, पुलिस बल तथा सुरक्षा एजेंसियों में रोजगार के अलावा जिम, फिटनेस सेंटर, कॉलेज और विभिन्न संस्थानों में इंस्ट्रक्टर के रूप में भविष्य संवारा जा सकता है. मार्शल-आर्ट की टे्रनिंग में कई पड़ाव आते हैं. शुरू में आपको  फिजिकल ट्रेनिंग, हाथ-पैर चलाने की कला और उछलकूद ही सिखाया जाता है, लेकिन अंतिम दौर में दांव-पेंच, स्टाइल और आघात पहुंचाने की कला सिखाई जाती है, जिसे ब्लैक बेल्ट कहते हैं. मार्शल आर्ट के अंतर्गत आने वाले जूडो कराटे को प्रथम चरण से लेकर ब्लैक बेल्ट तक पहुंचने में 3 से 4 साल लग जाते हैं. इसे सीखने के लिए संयम, अनुशासन, सहयोग की भावना और स्वस्थ शरीर होना आवश्यक है. कुल मिलाकर मार्शल आर्ट सीखने के लिए व्यक्ति में बुलंद हौसला और जुनून होना चाहिए. मार्शल आर्ट के कोर्स मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ के प्रमुख शहरों के स्टेडियमों, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, नई दिल्ली छत्रसाल स्टेडियम, नई दिल्ली आदि में उपलब्ध हैं.

इतिहास के आइने में
मार्शल आर्ट एक प्रचीनतम युद्ध कला है जो बिना हथियारों के लड़ी जाती है. मार्शल आर्ट का एक उदाहरण जापान ने प्रथम विश्वयुद्ध में रुस जैसे शक्तिशाली देश को पराजित करके साबित कर दिया कि मार्शल आर्ट एक ऐसी कला है जिसमें एक व्यक्ति अनेक व्यक्तियों से अपना बचाव करते हुए उन्हें मात देकर आत्मरक्षा कर सकता है. वर्तमान समय में यह कला कई देशों जैसे भारत, चीन, जापान व कोरिया में चल रही है.



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