फुटबॉल के 100 शीर्ष खिलाड़ियों में स्थान दिया. इंटर के लिए रोनाल्डो ने 68 मैचों में 49 गोल किए, जबकि रियल के लिए उन्होंने 127 मैचों में खेलते हुए 83 गोल किए. विश्व कप के लिए ब्राजीली टीम में जगह नहीं मिलने से निराश रोनाल्डो ने 2009 में ब्राजील के क्लब कोरिंथियंस के साथ क़रार किया और अपने करियर के अंतिम दिनों तक इसी क्लब के लिए खेले. इस क्लब के लिए रोनाल्डो ने 31 मैचों में 18 गोल किए.
ब्राजील के लिए 97 अंतरराष्ट्रीय मुक़ाबले खेल चुके रोनाल्डो ने आंसुओं के साथ अपने फुटबॉल करियर की समाप्ति की घोषणा की. रोनाल्डो ने कहा कि अब मैं और इंतज़ार नहीं कर सकता. मैं खेलना चाहता हूं, लेकिन शरीर इसकी इजाज़त नहीं दे रहा है. विश्व के महानतम फुटबॉल खिलाड़ियों में शुमार रोनाल्डो तीन बार फी़फा द्वारा वर्ष के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉल खिलाड़ी चुने जा चुके हैं. यहां पर ग़ौर करने वाली बात यह है कि रोनाल्डो ने अपने संन्यास की घोषणा अपनी ब़ढती उम्र की वजह से नहीं, बल्कि चोट के कारण की है. 2010 की फ़रवरी में रोनाल्डो ने कहा था कि वह 2011 में खेल से रिटायर हो जाएंगे और उन्होंने ऐसा ही किया. उनकी उपलब्धियों का ज़िक्र किया जाए तो शायद शब्द कम पड़ जाएं. फुटबॉल के जादूगर पेले ने दुनिया के महानतम फुटबॉलरों की सूची तैयार की थी, उसमें रोनाल्डो का भी नाम था. पिछले साल ही फुटबॉल की एक मशहूर वेबसाइट गोल डॉट कॉम के एक ऑनलाइन पोल में दशक के खिलाड़ी के रूप में रोनाल्डो को सबसे ज़्यादा वोट मिले. इसी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इस खिलाड़ी में जीत का कितना जज़्बा था. 34 वर्षीय रोनाल्डो फी़फा द्वारा तीन बार वर्ष का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुने जाने वाले विश्व के दूसरे फुटबॉल खिलाड़ी हैं. इससे पहले फ्रांस के जिनेदिन जिदान को यह सम्मान मिल चुका है. रोनाल्डो 1994 और 2002 में विश्व कप जीतने वाली ब्राजीली टीम के सदस्य रह चुके हैं. फुटबॉल के इतिहास में जिनेदिन जिदान और रोनाल्डो ही दुनिया के स़िर्फ दो ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्हें खेल की शीर्ष संस्था फ़ीफ़ा का प्लेयर ऑफ़ द ईयर अवॉर्ड तीन बार हासिल हुआ है.
22 सितंबर 1976 को रोनाल्डो लुइस नाज़ारियो दि लीमा नाम के साथ जन्मे रोनाल्डो फुटबॉल खेल जगत में उस समय चमक के साथ प्रकट हुए थे जब 20वीं सदी का आ़खिरी दशक चल रहा था और 21वीं सदी आ रही थी. 21 साल की उम्र में अपना पहला खिताब पाने वाले रोनाल्डो फुटबॉल की वह जादुई चमक हैं जिसकी झलक पेले और माराडोना ने दिखाई थी. पेले और माराडोना के बाद रोनाल्डो समकालीन लातिन फुटबॉल के सर्वाधिक प्रसिद्ध खिलाड़ियों में एक हैं. रोनाल्डो के खेल की यह रोचकता है कि उन्हें देखते ही प्रतिस्पर्धी दाएं बाएं नहीं हो जाता. वह उन्हें कुछ इस तरह दोस्ताना चुनौती में सहजता में साथ ले आते हैं और फिर उनके बीच अपनी वह निराली विनम्र टॉसिंग फ्लिकिंग करते थे. वहां गेंद प्रतिस्पर्धी खिलाड़ी के पांव से टकराती हुई वापस रोनाल्डो के पांवों से चिपक जाती है. वह अपने दोनों पांवों को गेंद खेलाते हुए दौड़ते जाते हैं. रोनाल्डो ने बड़ी स्ट्राइको की अपेक्षा बजाय ज़्यादातर सरकाते हुए कोण बनाते हुए ऐन गोलपोस्ट तक पहुंचते हुए छकाते हुए गोल किए हैं. अपने दिग्गज अग्रजों और अपने प्रतिभाशाली समकालीन खिलाड़ियों की खेल ऊर्जा को रोनाल्डो ने अपने खेल में समाहित करने की कोशिश की थी. रोनाल्डो ने खेल की बदौलत अपार लोकप्रियता, अपार प्रतिष्ठा और अपार अमीरी हासिल की.
वह उन असाधारण दिनों में अपनी पीली जर्सी पहने चमक रहे थे, जब बाज़ार फुटबॉल के मैदान में बढ़ता ही चला आ रहा था. रोनाल्डो ऐसे ही उस दौर के शिकंजे में आए हुए बीमार पस्त खिलाड़ी रह चुके थे जब 1998 के विश्व कप में उनकी टीम को फ्रांस से मात खानी पड़ी थी. इंजेक्शन देकर उन्हें मैदान पर उतारा गया था. वह फ़ाइनल खेलने लायक़ नहीं थे. पारिवारिक मुश्किलों, अवसाद और चोटों से बीमार रोनाल्डो ड्रेसिंग रूम में उल्टी कर रहे थे, लेकिन उनकी टीम उनके देश उनकी कंपनी उनके क्लब उनके नाम का इतना भारी दबाव था कि रोनाल्डो को न उतारने की कल्पना कोई कर ही नहीं सकता था. ख़ुद रोनाल्डो हैरान थे. उस दिन उन्हें पहली बार लगा था कि प्रेत भी फुटबॉल के मैदान पर जाकर भाग सकते हैं. इधर-उधर निरीह ढंग से गेंद को धकियाते ख़ुद को फेंकते रह सकते हैं. 2002 का विश्व कप इसका गवाह है. जहां रोनाल्डो अविश्वसनीय और ऐतिहासिक ज़िद के साथ मैदान पर उतरे थे और अपनी टीम को विश्व कप जिताने में प्रमुख भूमिका उन्होंने निभाई थी. रोनाल्डो इस जीत के बाद ब्राज़ील ही नहीं, सहसा पूरे खेल के ही महानायक बन गए थे. कहते हैं कि किसी की भी सफलता में उसके संघर्ष की महान गाथा छिपी होती है, ऐसी ही गाथा रोनाल्डो की भी है. अपने प्रदर्शन और योगदान की बदौलत कुछ ऐसी भूमिका में आ जाते हैं कि उनके जाने के बाद उस टीम के अस्तित्व की कल्पना करना ही मुश्किल हो जाता है. ऐसा लगने लगता है कि जब यह खिलाड़ी संन्यास की घोषणा करेगा तो फिर उसकी जगह कैसे भरेगी. जहां क्रिकेट में मास्टर बलास्टर सचिन तेंदुलकर को लेकर इस तरह की चर्चाएं होंगी, वहीं रोनाल्डो के संन्यास लेने के बाद फुटबॉल प्रेमियों के बीच भी कुछ ऐसी ही बहस छिड़ गई है. बहरहाल, रोनाल्डो ने भले ही खुद को फुटबॉल मैदान से दूर कर लिया, लेकिन उनके करोड़ों फैंस उन्हें अपने दिल से दूर नहीं कर सकेंगे.
तमगे ज़्यादा और कंधा छोटा
रोनाल्डो ने यूरोप और दक्षिण अमेरिकी फुटबॉल क्लबों के लिए खेलते हुए 350 से अधिक गोल किए. रोनाल्डो को वर्ष 1997 में सबसे पहले 21 वर्ष की उम्र में यूरोप का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुना गया था. वर्ष 2007 में फ्रांस फुटबॉल ने अपने सर्वकालिक महान अंतरराष्ट्रीय टीम में रोनाल्डो को जगह दी. इसके अलावा फीफा ने इसी वर्ष रोनाल्डो को ब्राजील के महानतम खिलाड़ी पेले के साथ अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल के 100 शीर्ष खिलाड़ियों में स्थान दिया. इंटर के लिए रोनाल्डो ने 68 मैचों में 49 गोल किए, जबकि रियल के लिए उन्होंने 127 मैचों में खेलते हुए 83 गोल किए. विश्व कप के लिए ब्राजीली टीम में जगह नहीं मिलने से निराश रोनाल्डो ने 2009 में ब्राजील के क्लब कोरिंथियंस के साथ क़रार किया और अपने करियर के अंतिम दिनों तक इसी क्लब के लिए खेले. इस क्लब के लिए रोनाल्डो ने 31 मैचों में 18 गोल किए. रोनाल्डो ने विश्व कप में कुल 15 गोल किए हैं. वर्ष 2006 के फी़फा विश्व कप में हिस्सा लेने वाले रोनाल्डो ने विश्व कप में सर्वाधिक गोल करने वाले खिलाड़ी बनने का गौरव हासिल किया. उन्होंने इस वर्ष जर्मनी के गर्ड मुलर के 14 गोल के रिकार्ड को ध्वस्त किया.
रोनाल्डो के नाम और भी कई रिकॉर्ड हैं. 2007 में हुए एक पोल में उन्हें सर्वकालिक टीम के ग्यारह खिलाड़ियों में से एक चुना गया.