कुछ तैराक ऐसे होते हैं, जो मझधार में तो ख़ूब तैरते हैं, पर किनारे आकर डूब जाते हैं और कुछ, जो मझधार से लेकर किनारे तक डूबते- तैरते रहते हैं, लेकिन आख़िर में बुरी तरह से डूबते हैं. रावलपिंडी एक्सप्रेस के नाम से मशहूर शोएब अख्तर उन तैराकों में आते हैं, जो मझदार से लेकर किनारे तक डूबते ही रहते हैं. दरअसल, यह खिलाड़ी कभी भी अपने करियर की नैया संतुलित नहीं रख पाया. जब-जब विवादों की लहरें आईं, यह खिलाड़ी ख़ुद को संभाल ही नहीं पाया और करियर की डांवाडोल कश्ती पर जैसे ही इसने अपनी किताब कंट्रोवर्सियल योर्स का वजन डाला, पूरी तरह से डूब गया.
अब इस गेंदबाज़ को शायद ही कोई सलीके से याद कर पाए. जब भी इस रावलपिंडी एक्सप्रेस की चर्चा होगी तो एक विवादास्पद खिलाड़ी की छवि उभर कर सामने आ जाएगी. हांलाकि अपने करियर के दौरान ज़्यादातर विवादों के लिए वह ख़ुद ही ज़िम्मेदार रहे. बातें चाहे डोपिंग की हों या खिलाड़ियों से झड़प की, पाकिस्तानी क्रिकेट बोर्ड के अधिकारियों को उल्टा-सीधा कहने का मामला हो या फिर खेल भावना का सम्मान न करने का, शोएब अख्तर लगभग हर मामले में पूरी तरह असंतुलित रहे. उन पर गेंद से छेड़छाड़ के आरोप लगे, उनके ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई हुई और डोपिंग के आरोप लगे. अपने साथी खिलाड़ी मोहम्मद आसिफ़ को बल्ले से मारने के मामले में भी उनकी काफ़ी आलोचना हुई. इसके अलावा शोएब अख्तर लंबे समय तक अपनी फ़िटनेस की समस्या से भी जूझते रहे. एक तऱफ फिटनेस की समस्या और दूसरी तऱफ विवादों का पिटारा, दोनों ने इस खिलाड़ी के करियर पर ऐसा ग्रहण लगाया, जिससे शोएब अख्तर कभी उबर ही नहीं पाए.
अभी हाल ही में शोएब अख्तर ने अपनी आत्मकथा कंट्रोवर्शियली योर्स में सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ समेत कई क्रिकेटरों की क़ाबिलियत पर सवाल उठाए. उन्होंने कोलकाता नाइट राइडर्स के मालिक शाहरुख ख़ान और आईपीएल के पूर्व चेयरमैन ललित मोदी पर धोखाधड़ी का भी आरोप लगाया. उनका दावा है कि तेंदुलकर और द्रविड़ मैच विजेता नहीं हैं और न वे मैच जीतकर समाप्त करने की कला जानते हैं. अपनी किताब में अख्तर लिखते हैं कि फ़ैसलाबाद की पिच पर सचिन तेंदुलकर उनकी तेज़ गेंदों का सामना करने से डरते थे. सचिन तेंदुलकर ने पूर्व पाकिस्तानी गेंदबाज़ शोएब अख्तर के इन दावों पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है. रावलपिंडी एक्सप्रेस ने अपनी आत्मकथा में पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) में भेदभाव, बोर्ड के अक्खड़ रवैये, अपनी बेइज़्ज़ती, गेंद से छेड़छाड़ और साथी खिलाड़ियों पर हमला करने समेत कई घटनाओं का जिक्र किया है. शोएब ने पीसीबी में राजनीति के बारे में भी लंबी बात की है. वह ड्रेसिंग रूम में होने वाले टीम के झगड़ों का ख़ुलासा भी करते हैं.
शोएब ने वसीम अकरम पर अपना करियर चौपट करने की कोशिश करने के आरोप लगाए और यह भी कहा कि पूर्व कप्तान शोएब मलिक पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के पिट्ठू हैं. उनका आरोप है कि इन लोगों ने उन्हें हतोत्साहित करने की पूरी कोशिश की. 1999 में एशियन टेस्ट चैंपियनशिप के कोलकाता टेस्ट में अकरम और वकार के बीच हुए विवाद का जिक्र करते हुए शोएब लिखते हैं कि दिल्ली टेस्ट हारने के बाद ही अकरम वकार से उलझ गए थे और यह विवाद इस स्तर पर पहुंच गया कि वकार को वापस स्वदेश भेजे जाने जैसी अफवाहें फैलने लगी थीं. तब पूरी टीम पहले टेस्ट के लिए कोलकाता रवाना हुई, लेकिन वहां ड्रेसिंग रूम का माहौल बिगड़ गया था. शोएब का यहां तक कहना है कि अकरम ने उन्हें अंतिम एकादश में चुने जाने पर टीम छोड़ने तक की धमकी दे डाली थी. उपरोक्त सभी दावों की सच्चाई तो शोएब ही जानते होंगे, लेकिन उन्हें इस बात का जवाब ख़ुद खोजना होगा कि अपनी विदाई के बाद इस तरह वरिष्ठ खिलाड़ियों पर उंगली उठाकर उन्हें क्या मिलने वाला है.
जो खिलाड़ी अपने पूरे करियर में अपने खेल से ज़्यादा विवादों से चर्चित रहा हो, उसकी किताब में विवादों की जगह तो बनाती है, लेकिन अगर सचिन और द्रविड़ जैसे खिलाड़ी उनसे डरते थे तो फिर उन्हें दुनिया का सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ होना चाहिए था और सचिन को अब तक संन्यास ले लेना चाहिए था. जो खिलाड़ी ख़ुद स्वीकार करे कि वह गेंद के साथ नियमित छेड़छाड़ करता था तो उसे कतई हक़ नहीं है कि वह दूसरे खिलाड़ियों की आलोचना करे. अगर उनकी किताब में ज़रा भी सच्चाई होती तो दुनिया में एक आदमी तो ऐसा होता, जो उनके पक्ष में बोलता. इस किताब में उन्होंने जो भी बातें लिखी हैं, उन पर जब उनका देश और साथी खिलाड़ी तक सहमत नहीं हैं तो बाक़ी लोगों की बात ही मत कीजिए. उनकी किताब में बहुत सारी विवादित चीज़ें हैं. अब अगर उन्हें लगता है कि विवादों से सुर्ख़ियां बटोर कर किताब बेची जा सकती है तो बाज़ार के हिसाब से वह सही हैं, लेकिन शोएब को यह हमेशा याद रहेगा कि इस किताब ने उन्हें विलेन बताते हुए उनके शख्सियती ताबूत में आख़िरी कील का काम किया है.
आत्मकथाओं की कथाएं अभी और भी हैं
अकेले शोएब ही नहीं हैं, जिन्होंने अपनी आत्मकथा के नाम पर विवादों का पिटारा खोल दिया है. क्रिकेट जगत की ऐसी कई हस्तियां हैं, जो अपनी ऑटो बॉयोग्राफी के ज़रिए सनसनीखेज ख़ुलासे कर चुकी हैं. इस सूची में सबसे पहला नाम पूर्व ऑस्ट्रेलियाई ओपनर हेडन का आता है. उन्होंने अपनी आत्मकथा स्टैंडिंग माई ग्राउंड में पूर्व भारतीय कप्तान सौरभ गांगुली और ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह को अपने निशाने पर लेते हुए कहा था कि ये दोनों 2004 में नागपुर में सीरीज के निर्णायक मैच में घसियाली पिच देखकर अचानक मैच से हट गए थे. ग़ौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया ने वह टेस्ट जीतकर सीरीज पर क़ब्ज़ा किया था. इसी तरह पूर्व ऑस्ट्रेलियाई अंपायर हेयर ने अपनी किताब इन द बेस्ट इंट्रेस्ट्स ऑफ द गेम में लिखा था कि भारतीय उप महाद्वीप में हुए पिछले विश्वकप में कई गेंदबाज़ चकिंग कर रहे थे, लेकिन खेल प्रशासकों ने उन्हें रोकने की कोशिश नहीं की. उन्होंने मुथैया मुरलीधरन और हरभजन के एक्शन को संदिग्ध बताते हुए कहा था कि हरभजन, शोएब अख्तर, मोहम्मद हफीज, जोहान बोथा और अब्दुल रज्जाक आदि ने विश्वकप में चकिंग की थी. हर्शेल गिब्स ने अपनी किताब टू द प्वाइंट में राष्ट्रीय टीम के कप्तान ग्रीम स्मिथ और अन्य खिलाड़ियों पर आपत्तिजनक आरोप लगाए थे. इस तरह और भी कई नाम हैं, जिन्होंने अपनी-अपनी आत्मकथाओं में कई कथाएं उजागर की हैं.
विवादों पर एक नज़र
शोएब से पाकिस्तान के क्रिकेट प्रेमियों को बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन उनका यह हीरो आख़िर विलेन में कैसे तब्दील हो गया, उसे कुछ इस तरह समझा जा सकता है. शोएब को वर्ष 2006 में डोपिंग का दोषी माना गया था, जिसके लिए उन्हें कई सालों का निलंबन झेलना पड़ा. हालांकि अपील के बाद निलंबन समाप्त हो गया था, लेकिन इस घटना में उनकी काफी भद्द पिटी थी. इसके अलावा ङ्गिटनेस समस्या के कारण शोएब वर्ष 2007 के विश्वकप में हिस्सा नहीं ले पाए और उसी साल मोहम्मद आसिफ़ से उनकी मारपीट की घटना भी सुर्ख़ियों में रही थी. इस मारपीट के कारण उन पर 13 वन डे मैचों की पाबंदी लगी थी. 2008 में सार्वजनिक रूप से पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड की आलोचना करने की वजह से उन पर 5 साल की पाबंदी लगी थी. अपील करने पर यह पाबंदी 18 महीने कर दी गई और दंड के तौर पर उन पर 70 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था. तब तक शोएब सबकी नज़रों में खटक चुके थे. रही-सही कसर उनकी किताब ने पूरी कर दी. अपनी आत्मकथा में शोएब ने वसीम अकरम और वकार यूनुस जैसे वरिष्ठ खिलाड़ियों पर साजिश रचने का आरोप लगाते हुए कहा कि इन लोगों ने उन्हें हतोत्साहित करने की पूरी कोशिश की. हालांकि वसीम ने जवाब में स़िर्फ इतना ही कहा कि शोएब रिटायरमेंट के पहले भी परेशानी थे और अभी भी परेशानी बने हुए हैं. किताब में कोलकाता नाइट राइडर्स के मालिक शाहरुख ख़ान और आईपीएल के पूर्व चेयरमैन ललित मोदी पर धोखाधड़ी का भी आरोप लगाया गया है. अब शायद शोएब को दोस्त बहुत मुश्किल से मिलेंगे.