Monday, October 31, 2011

बड़े आयोजनों का बड़ा फ़र्क़



फॉर्मूला वन रेस के आयोजन से कुछ ही दिनों पहले चौथी दुनिया ने इस आयोजन में आने वाली अड़चनों पर चर्चा की थी. इस रेस में कहीं ब्रेकर तो नहीं शीर्षक से प्रकाशित उस ख़बर में कई बिंदुओं पर आशंका जताई गई थी, मसलन निर्माण कार्य में देरी, मेहमाननवाज़ी और पैसे-ग्लैमर के कॉकटेल को लेकर पैदा होने वाले विवाद आदि. इसके कुछ ही दिनों के बाद फॉर्मूला वन रेस के ट्रैक में एक के बाद एक ब्रेकर आने लगे. पहला ब्रेकर है, यहां की निर्माण और देखरेख व्यवस्था का. उद्घाटन वाले दिन ही यानी 18 अक्टूबर तक सड़क से लेकर स्टॉल तक का कार्य पूरा नहीं हुआ था. हालांकि उस दिन इस तरह की अव्यवस्थाओं को पोस्टरों और बैनरों की आड़ में छिपा दिया गया था. दूसरा ब्रेकर सुप्रीम कोर्ट का वह नोटिस,

 जिसमें फॉर्मूला वन रेस के आयोजन को करमुक्त करने के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार से स्पष्टीकरण मांगा गया. जस्टिस डी के जैन की खंडपीठ ने सरकार के साथ-साथ फॉर्मूला वन रेस को आयोजित करने वाले जेपी ग्रुप को भी नोटिस भेजा. इस नोटिस में कोर्ट ने सवाल उठाया कि इवेंट को मनोरंजन कर से छूट क्यों दी गई. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने यह कार्रवाई एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान की. इस याचिका में राज्य सरकार की ओर से फॉर्मूला वन रेस के आयोजन को मनोरंजन कर से छूट को चुनौती दी गई थी. हालांकि जवाब में प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने यह ज़रूर कहा कि किसी भी कंपनी को अलग से कोई विशेष छूट अथवा सुविधा नहीं दी गई है. उन्होंने कई और आरोपों का भी खंडन किया. अब असलियत चाहे जो भी हो, लेकिन अगर किसी ने इस प्रकार की याचिका डाली है तो इस मामले को हल्के में नहीं लिया जा सकता है. इस आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि कुछ दिनों बाद राज्य सरकार और जेपी ग्रुप अपने-अपने हिसाब से जवाब देकर अपना दामन बचा लेंगे. एक बेहतरीन उदाहरण देखिए. फीफा वर्ल्डकप का आयोजन इस बार ब्राजील में होना है. फुटबॉल का यह विशाल आयोजन हमेशा दुनिया भर की निगाहों में रहता है, लेकिन वर्ल्डकप के इस आयोजन को लेकर ब्राजील बिल्कुल चिंतित नहीं है. ब्राजील को भी भारत के एफ-1 की तरह 2014 का फुटबॉल वर्ल्डकप कराने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना है

, लेकिन इसके बावजूद पर्याप्त समय का पूरा फायदा उठाते हुए तैयारियां पूरी की जा रही हैं. ताज्जुब की बात यह है कि जिस फॉर्मूला वन रेसिंग ट्रैक के उद्घाटन के दौरान इतनी सारी अनियमितताएं पाई गईं, उसके एफ-1 सर्किट में लगभग 400 मिलियन डॉलर की लागत आई. इसके अलावा इसमें बड़े-बड़े औद्योगिक घरानों का भी पैसा लगा हुआ है. पता नहीं क्यों, भारत में जब भी कोई खेल आयोजन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होता है, इस तरह के मामले सामने आ जाते हैं. चाहे वह कॉमनवेल्थ का मामला हो या फिर फॉर्मूला रेस का. ऐसा भी नहीं है कि आयोजन समिति को सभी कार्य पूरा करने का पर्याप्त व़क्त नहीं मिलता. यह तो बहुत पहले ही तय हो गया था कि ग्रेटर नोएडा के बुद्धा सर्किट में इस रेस का आयोजन होना है. इस बात से सभी वाक़ि़फ थे कि इस आयोजन में विदेशी दर्शकों की तादाद ज़्यादा होगी. ऐसे में विदेशियों के सामने यह भारत की छवि का भी प्रश्न था, लेकिन पता नहीं, भारत ऐसे आयोजनों में हमेशा इस तरह की विषम परिस्थितियों में क्यों घिर जाता है. रेस तो जैसे-तैसे ख़त्म हो गई, लेकिन आयोजन की मेजबानी को लेकर अपने पीछे बहुत सारे सवाल छोड़ गई. उद्घाटन वाले दिन ही यानी 18 अक्टूबर तक सड़क से लेकर स्टॉल तक का कार्य पूरा नहीं हुआ था. हालांकि उस दिन इस तरह की अव्यवस्थाओं को पोस्टरों और बैनरों की आड़ में छिपा दिया गया था.

 दूसरा ब्रेकर सुप्रीम कोर्ट का वह नोटिस, जिसमें फॉर्मूला वन रेस के आयोजन को करमुक्त करने के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार से स्पष्टीकरण मांगा गया. जस्टिस डी के जैन की खंडपीठ ने सरकार के साथ-साथ फॉर्मूला वन रेस को आयोजित करने वाले जेपी ग्रुप को भी नोटिस भेजा. एक बेहतरीन उदाहरण देखिए. फीफा वर्ल्डकप का आयोजन इस बार ब्राजील में होना है. फुटबॉल का यह विशाल आयोजन हमेशा दुनिया भर की निगाहों में रहता है, लेकिन वर्ल्डकप के इस आयोजन को लेकर ब्राजील बिल्कुल चिंतित नहीं है. ब्राजील को भी भारत के एफ-1 की तरह 2014 का फुटबॉल वर्ल्डकप कराने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना है, लेकिन इसके बावजूद पर्याप्त समय का पूरा फायदा उठाते हुए तैयारियां पूरी की जा रही हैं. पहले ऐसी ख़बरें थीं कि फुटबॉल की यह अंतरराष्ट्रीय संस्था तैयारियों की धीमी रफ्तार को लेकर चिंतित है. ख़ास तौर पर स्टेडियमों में सुधार और नए भवनों के निर्माण को लेकर फिक्र जताई गई थी, लेकिन बाद में जब फीफा अध्यक्ष जोसेफ ब्लाटर ने तैयारियों का जायज़ा लिया तो वह पूरी तरह संतुष्ट दिखे. आपको बता दें कि 2014 में होने वाले फीफा वर्ल्डकप के दौरान 12 अलग-अलग शहरों में मैच होंगे. ब्राजील में पिछला वर्ल्डकप 1950 में हुआ था. उसके लिए यह टूर्नामेंट एक और बड़े आयोजन की तैयारियों में फायदेमंद साबित होगा. 2016 में रियो डे जनेरो में ओलंपिक होना है. फिलहाल रियो के माराकाना स्टेडियम में निर्माण कार्य चल रहा है. इसके अलावा साओ पाउलो में इताक्वेराओ एरीना बनाया जा रहा है, इस आयोजन का उद्घाटन समारोह हो सकता है. हालांकि वर्ल्डकप से पहले 2013 में कॉन्फेडरेशन कप होना है, जिसे वर्ल्डकप की ड्रेस रिहर्सल के तौर पर देखा जाता है. इससे एक फायदा यह होता है कि जो थोड़ी-बहुत कमियां रह जाती हैं, वे समय रहते ठीक कर ली जाती हैं. 12 जून से 13 जुलाई 2014 तक होने वाला वर्ल्डकप 20वां फीफा वर्ल्डकप होगा. 1950 के बाद ब्राजील को दूसरी बार वर्ल्डकप के आयोजन का अवसर मिला है. ब्राजील समेत पांच ही देश हैं, जिन्होंने एक से ज़्यादा बार वर्ल्डकप का आयोजन किया है. इससे पहले मेक्सिको, इटली, फ्रांस और जर्मनी ऐसा कर चुके हैं. यह टूर्नामेंट दक्षिण अमेरिका के लिए भी एक बड़ी बात है. 1978 में अर्जेंटीना वर्ल्डकप के बाद पहली बार यह टूर्नामेंट महाद्वीप में हो रहा है. साथ ही ऐसा पहली बार होगा कि वर्ल्डकप लगातार दो बार यूरोप से बाहर हुआ, लेकिन इस बात को लेकर हमेशा पूरी दुनिया आश्वस्त रहती है कि फुटबॉल वर्ल्डकप का आयोजन बहुत धूमधाम से होगा. क्या दुनिया भारत के संदर्भ में भी इसी तरह आश्वस्त रहती है? शायद नहीं. अब यहां पर दो तस्वीरें हैं, एक ब्राजील की और दूसरी भारत की. दोनों ही देश बड़े आयोजनों की मेजबानी की तैयारियों को लेकर चर्चा में हैं, लेकिन दोनों तस्वीरों में कितना फर्क़ है!