क्या वाकई क्रिकेट वर्ल्ड कप की तैयारियों में भी एक ब़डे भ्रष्टाचार का मामला सामने आ सकता है? सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि अभी कुछ ही समय पहले जब दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेल की तैयारी चल रही थी तब भी यही सब तमाशा हुआ था. अंतरराष्ट्रीय जांच दल ने कहा कि स्टेडियम का काम पूरा नहीं है और संभव है कि खेलों का आयोजन स्थगित हो जाए. हालांकि, जैसे-तैसे काम पूरा हुआ. खेल का आयोजन भी हुआ. खेल से पहले और खेल के बाद भी राष्ट्रमंडल आयोजन समिति का भ्रष्टाचार देश के सामने निकल कर आया. क्या क्रिकेट जगत में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिलने वाला है?
एक बार श्रीलंका के पूर्व टेस्ट कप्तान मरवन अटापट्टू ने नौकरशाही के खिला़फ कहा था कि ये सारे जोकर हैं. इन जोकरों का सरदार एक बड़ा जोकर है. यदि इस बात को बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के लिए कहा जाए तो ग़लत नहीं होगा. जिस तरीक़े से बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन और उसके अध्यक्ष जगमोहन डालमिया ने ईडन गार्डन, जो कि भारत में क्रिकेट का मक्का कहा जा सकता है, को शर्मसार किया है वो निश्चित ही जोकरों का सरदार होगा. कोलकाता के लोग ही नहीं बल्कि पूरा देश और पूरे विश्व में क्रिकेट को चाहने वाले भारतीय क्रिकेट बोर्ड और बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन से नाराज़ हैं
याद रखने वाली बात यह है कि इससे पहले ईडन गार्डन भारत का सबसे विश्वसनीय स्टेडियम था. पूर्व में भी ईडन गार्डन में विश्व कप के ब़डे-ब़डे मैच आयोजित हो चुके हैं. यह पहली बार होगा कि भारतीय टीम अपने सबसे चहेते क्रिकेट ग्राउंड पर नहीं खेलेगी. 1987 वर्ल्ड कप का फाइनल और 1996 वर्ल्ड कप का सेमीफाइनल भी ईडन गार्डन में ही हुआ था. लेकिन इस बार के वर्ल्ड कप में ईडन गार्डन का मैदान सूना ही रहेगा. आईसीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हारून लोर्गट ने कहा कि ईडन की असफलता दुर्भाग्यपूर्ण है. ऐसा इसलिए कहा क्योंकि, यह स्टेडियम अंतरराष्ट्रीय मैचों की मेजबानी करता रहा है फिर भी वर्ल्ड कप के लिए भारत और इंग्लैंड के बीच 27 फरवरी खेले जाने वाले मैच को स्थगित कर दिया गया था. लोर्गट ने बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष जगमोहन डालमिया को ईमेल भेज कर कहा कि मैं भी उतना ही निराश हूं कि ईडन गार्डन में मैच आयोजित नहीं हो पायेगा, लेकिन मुझ पर विश्वास कीजिए, यह मेरे हाथो में नहीं है. यह सब तकनीकी समिति का फैसला है. मैं जल्दी ही आपसे मिलना चाहता हूं क्योंकि जो भी गलत़फहमियां है, वो जल्द ही दूर हो जाएं.
इस फैसले से न स़िर्फ क्रिकेट खिला़डी बल्कि सभी क्रिकेट प्रेमी, अन्य खेलों से जु़डे खिला़डी भी आहत हैं. ईडन गार्डन सिडनी और लॉर्डस जैसा है. इंग्लैंड के लिए जो लॉर्डस के लिए स्थान है वही ईडन गार्डन का महत्व भारत के लिए है. खाली क्रिकेटर ही नहीं पूर्व ओलंपिक खिला़डी और फुटबॉल से जु़डे लोग भी भारत में हो रहे खेल आयोजनों के साथ जु़डे हुए भ्रष्टाचार को लेकर चिंतित है. आ़िखर भारत को लंदन से कुछ सीख लेनी चाहिए. लंदन में होने वाले ओलंपिक खेल 2012 में शुरु होंगे, उसके आज सभी स्टेडियम तैयार हो चुके हैं. लेकिन सवाल यह है कि यह सब हुआ क्यों? आ़िखर मैच क्यों रद्द करना प़डा? कारण बताया गया कि स्टेडियम की तैयारी तय समय पर पूरी नहीं हो सकी थी. आईसीसी के जांच दल के विशेष अधिकारी प्रो. यूजिन वान वूरेन ने बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन को सा़फ शब्दों में कहा कि 27 फरवरी को भारत और इंग्लैंड के बीच होने वाले मैच को ईडन गार्डन की इस स्थिति को देखते हुए बिल्कुल नहीं कराया जा सकता.
आईसीसी के इस फैसले के बाद वही हुआ जो भारत में होता आया है. एक दूसरे पर छींटाकशी और अपनी नाक़ाबलियत को दूसरों के सर म़ढने का खेल शुरु हो गया. आ़खिर बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन ने क्या सोचा कि ईडन गार्डन कीकीर्ति को वे भुना लेंगे. उन्हें ऐसा क्यों लगा कि इतने गंदे रखरखाव के बाद भी आईसीसी वहां मैच की इजाज़त दे देगा. मामला यह है कि कहीं बीसीसीआई और भारतीय क्रिकेट में हमेशा चलने वाली राजनीति ने तो कहीं ईडन गार्डन पर धब्बा नहीं लगा दिया. क्या इस बार भी वही हुआ जो राष्ट्रमंडल खेल के दौरान हुआ था. क्या यहां भी घूसखोरी और भ्रष्टाचार का खेल खेला गया. जब बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन ने तीन बार स्टेडियम को तैयार करने की अंतिम समय सीमा लांघ दी तो फिर जगमोहन डालमिया की सारी अपील और दलील खोखली साबित होती हैं. कुछ लोगों का मानना है कि बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के पास ईडन गार्डन को तैयार करने की कोई रणनीति ही नहीं थी. जब उन्हें पुनर्निमाण चरणों में करना चाहिए था तो उन्होंने सारे काम एक साथ करने का मूर्खतापूर्ण फैसला क्यों लिया? लेकिन, इंटरनेशनल क्रिकेट कांउसिल यानी आईसीसी को भी पूरी तरह बरी नहीं किया जा सकता. आईसीसी को पता था कि बहुत सारे स्टेडियमों को ठीक करना था. ये आईसीसी की ज़िम्मेदारी थी कि वो इन सारे निर्माण कार्यों को लगातार अपनी नज़र में रखता और अपना अंतिम निर्णय होने वाले प्रथम मैच के एक महीने पहले ही बता देता. आदर्श स्थिति तो यह होती कि आईसीसी सारे कार्यों और योजनाओं की समीक्षा और अध्ययन करता और एसोसिएशन को अपने हिसाब से सलाह देता. क्योंकि आईसीसी के पास हर मामले के विशेषज्ञ थे, जिन्होंने ब़डे-ब़डे स्टेडियमों का निर्माण करवाया था. वो चाहते तो तैयारियों का मूल्यांकन भी कर सकते थे. आईसीसी को अपनी तकनीकी टीम को स्थानीय क्रिकेट एसोसिएशन को मदद देने की सोचनी चाहिए थी. क्या आईसीसी ने ईडन गार्डन के निर्माण कार्य को इससे पहले समय रहते देखने का प्रयास किया था. हुआ यह कि थो़डा-थो़डा करके सारा काम इकट्ठा होता गया और अंत में काम इतना ब़ढ गया कि सारी एजेंसियां और जो भी लोग ईडन गार्डन के रखरखाव से जुड़े थे, आपस में समन्वय नहीं बैठा पाए और एक बार फिर विश्व पटल पर भारत की किरकिरी हो गई. सबसे ब़डी बात यह है कि सिर्फ ईडन गार्डन ही खस्ता हाल में नहीं है बल्कि वानखे़डे स्टेडियम की भी कुछ यही कहानी है.
यहां भी वही ग़लतियां की गई हैं जो ईडन गार्डन में हुई. सबसे चौकाने वाली बात यह है कि ईडन गार्डन के नए स्टेडियम में पहले से 20 हज़ार सीटें कम हो गई होंगी. वानखे़डे स्टेडियम में ये कमी 5 हज़ार की है. सवाल यह है कि जब आईसीसी का किसी भी बात पर कोई नियंत्रण नहीं है तो इतने ब़डे आयोजन कराने की ज़रूरत क्या है? शर्मनाक बात यह भी है कि आईसीसी के वर्तमान अध्यक्ष भारत के ही कृषि मंत्री शरद पवार हैं और बंगाल एसोसिएशन क्रिकेट के अध्यक्ष जगमोहन डालमिया हैं, जो कि पूर्व आईसीसी अध्यक्ष हैं. याद रखने की बात यह है कि यह खेल भारत में क्रिकेट के साथ पहली बार नहीं हुआ है. पहले भी खराब पिचों और अधिकारियों का नकारापन सामने आता रहा है. लेकिन इस सबसे कभी भी कोई सबक नहीं लिया गया. दिसंबर 2009 में ऐसा ही कुछ फिरोज शाह कोटला मैदान, दिल्ली के साथ हुआ था. भारत और श्रीलंका का मैच पिच के खतरनाक तरीक़े से उछाल लेने की वजह से रद्द करना प़डा था. जो लोग इस पिच को बनाने के ज़िम्मेदार थे, उन्होंने ग़ैर पेशेवर और ग़ैर ज़िम्मेदाराना तरीक़े से सारा काम किया था.
भारत को खेल जगत में अपनी किरकिरी कराने का खासा अनुभव हो चुका है. अभी राष्ट्रमंडल खेलों में भ्रष्टाचार से उठी बदबू दबी भी नहीं थी कि क्रिकेट जगत की स़डांध लोगों के सामने आ गई. क्या वाकई क्रिकेट वर्ल्ड कप की तैयारियों में भी एक ब़डे भ्रष्टाचार का मामला सामने आ सकता है? सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि अभी कुछ ही समय पहले जब दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेल की तैयारी चल रही थी तब भी यही सब तमाशा हुआ था. अंतरराष्ट्रीय जांच दल ने कहा कि स्टेडियम का काम पूरा नहीं है और संभव है कि खेलों का आयोजन स्थगित हो जाए. हालांकि, जैसे-तैसे काम पूरा हुआ. खेल का आयोजन भी हुआ. खेल से पहले और खेल के बाद भी राष्ट्रमंडल आयोजन समिति का भ्रष्टाचार देश के सामने निकल कर आया. क्या क्रिकेट जगत में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिलने वाला है?