राजधानी दिल्ली में आजकल ठगों के कारनामों की चर्चा है. ये ठग कहीं पैसा
दोगुना करने की स्कीम के नाम पर भोलेभाले लोगों को ठग रहे हैं तो कहीं औनलाइन पैसा
कमाने का झांसा देकर. लेकिन हाल में नगर निगम षिक्षक की नौकरी दिलावाने के नाम पर
कुछ षातिर ठगों का जो फर्जीवाडा सामने आया आया है, उससे एक बात तो साफ हो जाती है
कि राजधानी में आजकल ठगी के सरताजों का बोलबाला है.
कल तक राजधानी में ठगी का षिकार ज्यादातर अनपढ किस्म के लोग ही होते थे. लेकिन
अब तो पढेलिखे लोगों के ठगे जाने की खबरें भी गाहे बगाहे देखने सुनने में आ ही जाती हैं. अब इसे
बेरोजगारी की मार झेल रहे लोगों की मजबूरी कहें या फिर हर काम को रिष्वत देकर काम
कराने की प्रवृत्ति, जिस कारण पढेलिखे लोग भी नौकरी हासिल करने की तमन्ना में ठगों के हाथों फंसकर
न सिर्फ अपनी मेहनत की कमाई लुटा देते हैं, बल्कि अपने कैरियर के साथ भी
खिलावाड कर लेते हैं. ताजा घटनाक्रम तो इसी बात की तस्दीक कर रहा है. घटना 28 फरवरी 2012 की है. इस दिन
जहांगीरपुरी पुलिस ने एक ऐसे रैकेट का भंडाफोड किया, जो कान्ट्रेक्ट पर निगम के
स्कूलों में षिक्षक बनाने का झांसा देकर
कई लोगों का ठगी का षिकार बनाते थे. ये ठग न सिर्फ बेरोजगारों को नौकरी दिलाने के
झूठा सपना दिखाते थे बल्कि उनके इस के ऐवज में अच्छी खासी रकम भी वसूलते थे. पुलिस
के गिरफत में सात लोग आए हैं. इस ठगी के खेल में षामिल 7 लोगों की पहचान संजीव, सुरेष, अषोक, सुनील, सचिन, संतोश और आफताब आदि के
रूप में हुई है. इन सभी ठगों से जब पुलिस ने कडाई से पूछताछ की कई बाते सामने आईं.
जिनसे यह पता चलता गिरफ्तार सातों अभियुक्तों में ज्यादातर पढे लिखे युवक थे.
इनमें से तीन तो फर्जी निगम षिक्षक के तौर पर बाकायदा नौकरी भी करते थे. अब इससे
सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये ठग बतौर षिक्षक बच्चों को किस तरह की षिक्षा
देते होंगे. इस गिरोह को अषोक चलाता था, जो वजीराबाद स्थित निगम स्कूल में कान्ट्रेक्ट पर
षिक्षक के तौर पर काम कर रहा था. बाद में अषोक ने ठगी के इस खेल में अन्य साथियों
को भी षामिल कर लिया. अपने इस कारनामे को अंजाम देने के लिए इनके पास कई ऐसे
दस्तावेज थे, जिनके आधार पर यह किसी को अहसास नहीं होने देते थे कि वो जो भी कर रहे हैं वह
सिर्फ फर्जीवाडे के अलावा और कुछ नहीं है. असल में इनके पास कान्ट्रेक्ट पर षिक्षक
की नियुक्ति के फर्जी पत्र थे. इनके उपर वह उप निरीक्षक कवंर सिंह के फर्जी
हस्ताक्षर कर अपनी ठगी के धन्धे को अंजाम देते थे.यह गिरोह दो से चार लाख रूपये
लेकर नौकरी दिलाने का दावा करता था. गिरफ्तारी के दौरान इनके पास से फर्जी
नियुक्ति पत्र, डिप्टी डायरेक्टर की फर्जी सील और 75,000 रुपए नगद बरामद हुए. यह मामला
तब खुला, जब
जहांगीरपुरी पुलिस को सिविल लाइन क्षेत्र में षिक्षा विभाग के उपनिदेषक कवंर सिंह
की ये षिकायत मिली कि निगम स्कूल में संविदा पर षिक्षकों के तीन नियुक्ती पत्र
फर्जी पाये गये हैं. मामले को गंम्भीरता से लेते हुए एसआई षैलेन्द्र कुमार और
कृश्णा की टीम तीनो आरोपियों को धर दबोचा.
जब इस बाबत नगर निगम की षिक्षक समिति
के अध्यक्ष डा. महेंद्र नागपाल हमने बात की तो उनका कहना था कि मामले की जांच चल
रही है और इस जांच में षिक्षा विभाग भी मुस्तैदी से माामले की छानबीन कर रहा है.
साथ ही यह भी पता लगाने की कोषिष की जा रही है कि फर्जी प्रमाण पत्र बनाने वाले इस
गिरोह की सांठगांठ कहीं विभाग के निगम कर्मियों से तो नहीं है. इसके अलावा उनका यह
भी कहना था कि अब वो हाल ही में
कांट्रेक्ट पर भर्ती हुए षिक्षकों को कागजों का बारीकी से वेरीफिकेषन कर रहे हैं.
बहरहाल, इस पूरे मामले में यह बात भी सामने आई है ठगी का षिकार ज्यादातर वो लोग हुए
हैं, जो
षिक्षक के पद की योग्यता खरे नहीं उतरते थे. यानी अनैतिक तरीके से रोजगार हासिल
करके के चक्कर में वे इन ठगों के चंगुल में फंस जाते थे. ये ठग न जाने कितनों
दिनांे से कई बेरोजगारों का नौकरी का झांसा देकर अपना उल्लू सीधा कर रहे थे.
हालांकि, पुलिस
की यह जांच अभी षुरुआती दौर में है. अभी तो कई और तथ्य सामने आने बाकी हैं. मसलन
हो सकता है कि फर्जी षिक्षक के तौर पर काम कर रहे और भी ठग अभी भी पुलिस की गिरफत
से बाहर हों. इन ठगो ंके अलावा यह दन बेरोजगारों के लिए भी एक सबक है जो कुछ भी
हासिल करनेके लिए षार्टकट और पैसों पर ही भरोसा करके ऐसे तत्वों को बढावा देते
हैं. इससे पहले कि दिल्ली के ये ठग किसी और की कमाई और भविश्य से खिलवाड करें,
इन्हें जल्द से
जल्द सलाखों के पीछे पहुंचाना कानून का काम है.
राजधानी में ठगी का यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले राजधानी कई ठगों का
षिकार बन चुकी है. हालिया मामला 5 फरवरी 2012 का है. इसी दिन पुलिस ने एक ऐसी ठग महिला को गिरफतार किया
था जो टीटीई की नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों को नियुक्ति पत्र लेने के लिए लखनऊ
भेज देती थी. बाद में ठगी के षिकार लोगों को पता चलता था कि जो पता ठग पिंकी
षुक्ला नवयुवकों को देती थी, वो असल में गलत होता था. इसी तरह 1 फरवरी 2012 को पुलिस ने ललित और
अमरजीत नाम के दो ठगों को धर दबोचा था, जो केवल 12वीं तक पढे थे लेकिन बहुराश्ट्रीय कंपनियों में
नौकरी दिलाने के झांसा देकर अब तक 50 से अधिक ख्ुवाओं का अपना षिकार बना चुके थे. सरोजनी
नगर पुलिस को भी 28 जनवरी 2012 को उदयवरी और अमित मलिक को कहरासत में लिया. ये दोनों षख्स डीटीसी में बतौर
कंडक्टर काम करते थे और लोगों को कांट्रेक्ट पर कंडक्टर बनाने का सपना दिखाकर अपना
उल्लू सीधा करते थे. इस तरह दिल्ली में बेरोजगारों को रोजगार दिलाने का सपना
दिखाकर ये ठग अपना रोजगार खूब अच्छी तरह से चला रहे हैं.
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