मुंबई इंडियंस ने जब रॉयल चैलेंजर बंगलुरु को 31 रनों से हराकर ट्रॉफ़ी अपने नाम की, तब जाकर यक़ीन आया कि वही असली विजेता है. वरना किसने सोचा था कि जिस खिलाड़ी को अभी-अभी टीम से बाहर का रास्ता दिखाया गया है, वह इस कदर जीत का जज़्बा दिखाते हुए चयनकर्ताओं को एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर देगा. इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि जब यह लीग मुक़ाबला शुरू हुआ था, तब सभी ने मुंबई इंडियंस के प्रदर्शन को लेकर कई तरह की आशंकाएं व्यक्त की थीं. सभी का यही कहना था कि टीम में न तो सचिन हैं और न रोहित शर्मा और मुनाफ़ पटेल. कोई भी टीम अपने किसी एक खिलाड़ी के आउट ऑफ फॉर्म होने पर चिंता में पड़ जाती है. अगर तीन-तीन खिलाड़ी बाहर हों तो टीम के बाक़ी सदस्यों के मनोबल पर क्या फर्क़ पड़ता होगा, इसका सहज अंदाज़ा लगाया जा सकता है, लेकिन ऐसे व़क्त में जिस तरह टर्मिनेटर हरभजन की कप्तानी में युवा खिलाड़ियों ने फ़ाइनल तक का सफ़र तय किया, वह काफी कुछ सकारात्मक संदेश दे जाता है. साथ ही इस बात की भी तस्दीक करता है कि अगर टीम में जीत की भूख हो तो फिर किसी भी हाल में जीत आपके दामन में आकर ही रहेगी. मुंबई इंडियंस की जीत के बाद जब नीता अंबानी से बात की गई तो उनकी जीत की ख़ुशी में युवाओं के जोरदार प्रदर्शन का दम बोल रहा था. हालांकि वह इस बात से इंकार नहीं कर रही थीं कि सचिन की ग़ैर मौजूदगी से मनोबल में थोड़ी कमी आई थी
. उन्होंने कहा कि सचिन भले ही मैदान में नहीं थे, पर उनकी मौजूदगी दुआ और टीम के खिलाड़ियों को सलाह के रूप में हर व़क्त हमारे साथ थी. वह इस जीत के लिए हरभजन की तारी़फ करती हैं कि उन्होंने जिस तरह मुश्किल वक्त में अपनी नेतृत्व क्षमता का दम दिखाया, उसका कोई जवाब नहीं. अगर मैच की बात करें तो कप्तान हरभजन सिंह और युजवेंद्र चहल की बेहतरीन गेंदबाज़ी के आगे बंगलुरु का कोई भी बल्लेबाज़ कहीं नहीं टिक सका. पहले बल्लेबाज़ी करते हुए मुंबई की टीम केवल 139 रनों का स्कोर ही खड़ा कर पाई थी. बंगलुरु की शुरुआत अच्छी नहीं रही. क्रिस गेल 5 रनों पर आउट हुए, जबकि तिलकरत्ने दिलशान ने 27 रन बनाए. गेल का विकेट कप्तान हरभजन सिंह ने लिया, वहीं दिलशान को मलिंगा ने आउट किया. हरभजन ने ही बंगलुरु के कप्तान डेनियल विटोरी को एक रन के निजी स्कोर पर 17वें ओवर में पवेलियन भेज दिया. विराट कोहली को भी 11 रनों के बाद खेलने का मौक़ा नहीं दिया. इसके तुरंत बाद किरोन पोलार्ड ने मोहम्मद कैफ को 3 रनों पर आउट किया. यहीं से मैच पूरी तरह मुंबई के पाले में आ चुका था. बंगलुरु को सबसे बड़ा झटका तब लगा, जब तूफ़ानी बल्लेबाज़ क्रिस गेल हरभजन सिंह की गेंद पर एलबीडब्ल्यू हो गए.
दिलशान और गेल के जाने से मुंबई इंडियंस के गेंदबाज़ों के हौसले काफ़ी बढ़ गए. मयंक अग्रवाल भी 14 रनों पर सस्ते में ही निपट गए. उस समय बंगलुरु का स्कोर था चार विकेट पर 73 रन. मुंबई को नियमित समय पर विकेट मिलते गए, जबकि बंगलुरु के लिए रन रेट बढ़ता गया. अरुण कार्तिक खाता भी नहीं खोल पाए तो कैफ़ ने मात्र तीन रन जोड़े. विटोरी को हरभजन ने एक रन पर आउट कर दिया. अंतिम ओवरों में रन रेट करीब 15 प्रति ओवर पहुंच गया था. 18वें ओवर में अबू अहमद की गेंद पर सौरभ तिवारी के आउट होने के बाद तो बंगलुरु की उम्मीदें ख़त्म हो गईं. बंगलुरु की पूरी टीम 19.2 ओवरों में 108 रन बनाकर आउट हो गई. हरभजन सिंह ने तीन विकेट लिए तो मलिंगा और अबू अहमद की झोली में दो विकेट गए. मुंबई इंडियंस के कप्तान हरभजन सिंह को मैन र्ऑें द मैच का अवॉर्ड दिया गया और लसिथ मलिंगा को मैन ऑफ़ द सीरीज. सबसे ज़्यादा विकेट लेने का ख़िताब भी मलिंगा को ही दिया गया. खराब फॉर्म के कारण टीम इंडिया से बाहर चल रहे हरभजन सिंह ने चैंपियंस लीग टी-20 मैच में वह एक अहम विकेट लिया, जिसके बाद टीम की जीत लगभग तय हो गई. क्रिकेट के जानकारों की मानें तो मुंबई इंडियंस ने चेन्नई में खेले गए दूसरे सेमी फाइनल में सोमरसेट को हराकर ट्वेंटी-20 चैंपियंस लीग के फाइनल में जगह बना ली और उसके बाद उसकी जीत के आसार बढ़ गए थे.
वह मैच मुंबई इंडियंस ने 10 रनों से जीता था. कुल मिलाकर मुंबई इंडियंस की जीत काफी कुछ कह जाती है. यह उन टीमों के लिए एक सबक है, जो अपनी हार का ठीकरा खिलाड़ियों की कमी, उनकी चोटों और उनके फॉर्म में न होने पर फोड़ती हैं. इस जीत के साथ अगर किसी के हौसले सबसे ज़्यादा बुलंद हुए तो वह हैं हरभजन सिंह. अब वह टीम में वापसी के लिए एक बार फिर से फॉर्म में आ जाएंगे.
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